अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – केदारनाथ सिंह: (क) बनारस, (ख) दिशा
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल केदारनाथ सिंह की कविताओं बनारस और दिशा का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
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पाठ-1 – केवलराम सिंह: (क) कनपुर, (ख) दिशा
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 हिंदी साहित्य नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - केवलराम सिंह हिंदी साहित्य कक्षा 12
यह अध्याय केवलराम सिंह की दो कविताओं 'कनपुर' और 'दिशा' पर आधारित है। कवि मानवीय मूल्यों पर केंद्रित हैं। अध्याय में जीवनी, कविताओं का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
- केवलराम सिंह की जीवनी समझना।
- कविताओं का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
- शहरी जीवन और दार्शनिक चिंतन का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
- केवलराम सिंह छायावादोत्तर कवि हैं।
- कविताएँ मानवीय संवेदनाओं पर।
- कनपुर: शहर की जीवंतता और शून्यता।
- दिशा: बाल दृष्टि से जीवन दर्शन।
केवलराम सिंह की जीवनी - पूर्ण विवरण
- जन्म: 1934, कानपुर के पंडित जीवक तिवारी मोहल्ले में।
- मृत्यु: 2018।
- शिक्षा: कानपुर विश्वविद्यालय से एम.ए., वहीं से 'आधुनिक हिंदी कविता में छंद-विज्ञान' पर पीएच.डी. प्राप्त। कुछ समय कानपुर में हिंदी के प्राध्यापक रहे, फिर अवध विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त।
- व्यक्तित्व: मानवीय संवेदनाओं के कवि। कविताओं में संघर्ष का स्पष्ट स्वर और सरल लहजा।
- साहित्यिक योगदान: कविताओं में प्रगति और वस्तुओं के बिना जीवन का महत्व। भाषा सरल और भावपूर्ण। सात काव्य संग्रह: अभी अभी, मुकुल खिल रही है, यहाँ से देखो, वर्तमान में कल, उत्तर दिशा, अन्य कविताएँ - चकित, टूटा काँच और खिड़की। आलोचना: दृष्टि और संशय, आधुनिक हिंदी कविता में छंद-विज्ञान का विकास। निबंध: मेरे समय के शब्द, दृष्टिसागर में समीक्षा। हाल में 'प्रतिनिधि कविताएँ' और 'रचन-रचना'।
- पुरस्कार: 1989 साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, 1994 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंगलेश डबराल राष्ट्रीय सम्मान, अन्य सम्मान।
- विशेष: कनपुर कविता शहर के सांस्कृतिक अनुभव पर, दिशा बाल मन से दार्शनिक।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ।
कनपुर - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
इस शहर में धूल
अचानक आती है
और जब आती है तो मैंने देखा है
यमुना की ओर मलिनहर की रानी को
उठते हुए धूल के एक पर्दे
और इस महान प्राचीन शहर की सुगंध
फुसफुसाने लगती है
जो है वह सुगंधित होता है
जो नहीं है वह हिलोरें लेने लगता है पत्तियाँ
आदमी नजरअंदाज पर चढ़ता है
और पाता है मंदिर का आखिरी पल्लव
कुछ और स्यंदन हो गया है
लटकनों पर बैठे चिरंतनों की आँखों में
एक स्याही सी धुंध है
और एक स्याही सी बूंद से भरा उठा है
फकीरों के जुलाहों का फूलकदंब खाली होना
कभी देखा है
खाली जुलाहों में धूल का गिरना!
यह शहर इसी तरह खुलता है
भरता
और खाली होता है यह शहर
इसी तरह धक-धक एक अनघट प्रकोप
ले जाते हैं ओढ़े
वैशाखी वाली
भरी हुई गंगा की रानी
इस शहर में धूल
धीरे-धीरे उड़ती है
धीरे-धीरे चलते हैं लोग
धीरे-धीरे थमते हैं पल
शाम धीरे-धीरे होती है
यह धीरे-धीरे होना
धीरे-धीरे होने की प्रवृत्ति से
नजदीक है सुस्त शहर को
इस तरह कि कुछ भी हिलता नहीं है
कि गिरता नहीं है कुछ भी
कि जो चीख जहाँ थी
वहीं पर रखी है
कि गंगा वहीं है
कि वहीं पर रखी है रानी
कि वहीं पर रखी है लहरों की चाँदी
लाखों चुल्लू से
कभी लहर-लहर
बिना किसी सूचना के
गिरो इस शहर में
कभी वृषभ के व्योम में
इसे अचानक देखो
अनोखी है इसकी बनावट
यह आकाश पानी में है
आकाश संगीत में
आकाश संवाद में है
आकाश प्रकोप में
आकाश उलझन में है
आकाश कंधे में
अगर गहराई से देखो
तो यह आकाश है
और आकाश नहीं है
जो है वह खड़ा है
बिना किसी लय के
जो नहीं है उसे लय है
चढ़ और चढ़ाव के उछल-उछल लय
अग्नि के लय
और जल के लय
धूल के
धुंध के
आदमी के उठे हुए हाथों के लय
किसी अपरिचित सूर्य को
देते हुए मंगल
किरणों से इसी तरह
गंगा के पानी में
अपनी एक भुजा पर खड़ा है यह शहर
अपनी दूसरी भुजा से
अभी अभी चिल्लाया!
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग:
इस शहर में धूल अचानक आती है... फुसफुसाने लगती है।
व्याख्या: कनपुर शहर में धूल का अचानक आगमन शहर की जीवंतता दिखाता है। धूल पर्दे की तरह उठती है, शहर की सुगंध फैलती है।
द्वितीय भाग:
जो है वह सुगंधित होता है... खाली जुलाहों में धूल का गिरना!
व्याख्या: वर्तमान सुगंधित, अनुपस्थिति हिलोरें लेती। मंदिर का पल्लव, फकीरों की धुंध - शहर की आध्यात्मिकता और शून्यता।
तृतीय भाग:
यह शहर इसी तरह खुलता है... लाखों चुल्लू से।
व्याख्या: शहर खुलता-भरता-खाली होता। धीमी गति, स्थिरता - गंगा, रानी, चाँदी की स्थिरता।
चतुर्थ भाग:
कभी लहर-लहर बिना किसी सूचना के... आकाश नहीं है।
व्याख्या: अचानक गिरना, शहर की अनोखी बनावट - आकाश हर जगह, लेकिन वास्तविक नहीं।
पंचम भाग:
जो है वह खड़ा है... अभी अभी चिल्लाया!
व्याख्या: स्थिरता और लय का द्वंद्व। शहर गंगा पर खड़ा, चिल्लाता - जीवंतता।
समग्र विश्लेषण
- भाव: शहर का सांस्कृतिक, धार्मिक चित्रण; जीवंतता-शून्यता।
- शिल्प: सरल भाषा, गहन अर्थ; प्रतीक (धूल, गंगा)।
- थीम: आधुनिक शहर जीवन।
दिशा - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
फूलों की डाल गंगा
मैंने उस बच्चे से पूछा जो खेत के बाहर
पतंग उड़ा रहा था
उत्तर-उत्तर उसने कहा
जब तक उसकी पतंग खींची जा रही थी
मैं सहमत हुआ
मैंने पहली बार जाना
फूलों की डाल गंगा!
बंध-वार व्याख्या
पूर्ण कविता:
फूलों की डाल गंगा... फूलों की डाल गंगा!
व्याख्या: कवि बच्चे से दिशा पूछता है, बच्चा उत्तर कहता क्योंकि पतंग उत्तर की ओर खिंच रही। कवि सहमत, बाल दृष्टि से नई सीख।
समग्र विश्लेषण
- भाव: प्रत्येक का अपना दृष्टिकोण; बाल सरलता से जीवन दर्शन।
- शिल्प: लघु कविता, सरल भाषा।
- थीम: हम बच्चों से सीख सकते हैं।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
कनपुर
1- कनपुर में धूल का आगमन कैसे होता है और इसका शहर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- यमुना की ओर से मलिनहर रानी को उठते पर्दे के रूप में।
- शहर की सुगंध फुसफुसाने लगती।
2- 'खाली जुलाहों में धूल का गिरना' से क्या अभिप्राय है?
- शहर की शून्यता और फकीरों की निराशा का प्रतीक।
3- कनपुर की पूर्णता और व्यर्थता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है?
- खुलना-भरना-खाली होना; धीमी गति और स्थिरता से।
4- कनपुर में धीरे-धीरे क्या-क्या होता है। 'धीरे-धीरे' से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है?
- धूल उड़ना, लोग चलना, पल थमना, शाम होना।
- सुस्ती और स्थिरता।
5- धीरे-धीरे होने की प्रवृत्ति में क्या-क्या चिह्न हैं?
- चीख, गंगा, रानी, लहरों की चाँदी की स्थिरता।
6- 'लहर लहर' में गिरने पर कनपुर की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है?
- अनोखी बनावट, आकाश हर जगह।
7- कनपुर शहर के लिए जो मानवीय क्रियाएँ इस कविता में आई हैं, उनका आंतरिक अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- देखना, गिरना, चिल्लाना - शहर की जीवंतता।
8- प्रसंग-सहित स्पष्ट कीजिए: (अ) यह धीरे-धीरे होना ----------- सुस्त शहर को (आ) अगर गहराई से देखो ----------- और आकाश नहीं है (इ) अपनी एक भुजा पर ----------- चिल्लाया
- (अ) प्रवृत्ति से नजदीक।
- (आ) तो यह आकाश है।
- (इ) खड़ा है यह शहर अपनी दूसरी भुजा से अभी अभी।
दिशा
1- बच्चे का उत्तर-उत्तर कहना क्या दर्शाता है?
- बाल दृष्टि की सरलता; पतंग की दिशा से उत्तर।
2- 'मैं सहमत हुआ मैंने पहली बार जाना फूलों की डाल गंगा' – उपस्थित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
- कवि को बाल उत्तर से नई दृष्टि; सहमति का आनंद।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- आप कनपुर के बारे में क्या जानते हैं? लिखिए।
- कनपुर का इतिहास, संस्कृति वर्णन।
2- कनपुर का चित्र बनाइए।
- गंगा, मंदिर, धूल का चित्रण।
3- कनपुर शहर की विशेषताएँ जानिए।
- सांस्कृतिक, धार्मिक स्थल सूचीबद्ध।
शब्दार्थ एवं टिप्पणियाँ - पूर्ण शब्दकोष
कनपुर
- यमुना की ओर मलिनहर - कनपुर के घाटों के नाम
- पल्लव - पत्ता, प्रतीक
- स्यंदन - स्याही
- लटकन - लटकन
- चिरंतन - चिरंतन
- फूलकदंब - फूलों का समूह
- वैशाखी - वैशाख मास
- प्रवृत्ति - प्रवृत्ति
- चुल्लू - चुल्लू
- वृषभ - वृषभ नक्षत्र
- व्योम - आकाश
- उलझन - उलझन
- लय - लय
- मंगल - मंगल ग्रह
- भुजा - भुजा
दिशा
- डाल - डाल
- पतंग - पतंग
- उत्तर - उत्तर दिशा
- खींची - खींची
- सहमत - सहमत
इंटरएक्टिव क्विज़ - केवलराम सिंह मास्टर
10 एमसीक्यू पूर्ण वाक्यों में; 80%+ लक्ष्य। कविताएँ, जीवनी, थीम कवर।
त्वरित रिवीजन नोट्स एवं मेमोनिक्स
| उपविषय | मुख्य बिंदु | उदाहरण | मेमोनिक्स/टिप्स |
|---|---|---|---|
| जीवनी |
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सात संग्रह। | 34-18 (जन्म-मृत्यु)। टिप: "छंद चेतना"। |
| कनपुर |
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खाली जुलाहा। | DGS (धूल-गंगा-शहर)। टिप: "धूल धीरे"। |
| दिशा |
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फूलों की डाल। | BDP (बच्चा-दिशा-पतंग)। टिप: "उत्तर उत्तर"। |
| शब्दार्थ |
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मलिनहर। | SPDK (स्यंदन-प्रवृत्ति-डाल-खींची)। टिप: "शब्द सरल"। |
समग्र टिप: पूर्ण स्कैन के लिए 34-18-DGS उपयोग (5 मिनट)। फ्लैशकार्ड: सामने (शब्द), पीछे (बिंदु + मेमोनिक)।
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