अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’: (क) यह दीप अकेला, (ख) मैंने देखा एक बूँद
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की कविताओं यह दीप अकेला और मैंने देखा एक बूँद का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
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पाठ-14 – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय': (क) यह दीप अकेला, (ख) मैंने देखा एक बूँद - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ-14 – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय': (क) यह दीप अकेला, (ख) मैंने देखा एक बूँद
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 वरज्क नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स
यह अध्याय अज्ञेय की दो प्रसिद्ध कविताओं 'यह दीप अकेला' और 'मैंने देखा एक बूँद' पर आधारित है। इन कविताओं के माध्यम से अज्ञेय ने व्यक्ति और समाज, क्षण की महत्ता का चित्रण किया है। अध्याय में कवि की जीवनी, कविताओं का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
अज्ञेय की जीवनी समझना।
कविताओं का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
व्यक्ति की स्वतंत्रता और क्षणभंगुरता का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
अज्ञेय प्रयोगवादी कवि हैं।
कविताएँ सप्रयोजन हैं।
यह दीप अकेला: व्यक्ति की स्वतंत्रता।
मैंने देखा एक बूँद: क्षण की महत्ता।
अज्ञेय की जीवनी - पूर्ण विवरण
अज्ञेय का मूल नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन है। उन्होंने अज्ञेय नाम से काव्य-रचना की। उनका जन्म कुसुमौरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था, किन्तु बचपन लखनऊ, श्रीनगर और जम्मू में बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अंग्रेज़ी और संस्कृत में हुई। हिंदी उन्होंने बाद में सीखी। वे आरंभ में विज्ञान के विद्यार्थी थे। बी.एस.सी. करने के बाद उन्होंने एम.ए. अंग्रेज़ी में प्रवेश लिया। क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें अपना अध्ययन बीच में ही छोड़ना पड़ा। वे चार वर्ष जेल में रहे तथा दो वर्ष नजरबंद।
अज्ञेय ने देश-विदेश की अनेक यात्राएँ कीं। उन्होंने कई नौकरियाँ कीं और छोड़ीं। कुछ समय तक वे जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। वे हिंदी के प्रसिद्ध समाचार साप्ताहिक दिनमान के संस्थापक संपादक थे। इसके अलावा उन्होंने सप्तक परंपरा का सूत्रपात करते हुए, तर सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक का संपादन किया।
अज्ञेय प्रकृति-प्रेम और मानव-मन के अंतर्द्वंद्वों के कवि हैं। उनकी कविता में व्यक्ति की स्वतंत्रता का आग्रह है और बौद्धिकता का विस्तार भी। उन्हें अनेक पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत भारती सम्मान और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रमुख हैं।
प्रमुख काव्य कृतियाँ: भग्नदूत, चिंता, हरि घास पर क्षण भर, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार आदि।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ।
यह दीप अकेला - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मादकता, पर इसे भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है-गाता गीत जिसे फिर और कौन गाएगा?
पनडुब्बा-ये मोती सच्चे फिर कौन खरी लाएगा?
यह समिधा-ऐसी आग हठीला बिरला सुलगाएगा।
यह अद्वितीय-यह मेरा-यह मैं स्वयं विसर्जित-
यह मधु है-स्वयं काल की मौन का युग-संचय,
यह गोर्स-जीवन-कामधेनु का अमृत-पूर्ण पय,
यह अंकुर-फोड़ धरा को रवि को ताकता निर्भय,
यह प्रकृति, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुतः इसे भी शक्ति को दे दो।
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँप,
वह पीड़ा, जिस की गहराई को स्वयं उसी ने नाप;
कुटिलता, अपमान, अवज्ञा के धुँधुकारते कड़ुवे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागृत, अनुदित-नेत्र,
उल्लंब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापन,
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसे भी भक्ति को दे दो-
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मादकता, पर इसे भी पंक्ति को दे दो।
समग्र विश्लेषण
भाव: व्यक्ति की स्वतंत्रता, समाज में विलय।
शिल्प: अलंकार (उपमा, अनुप्रास); छंद मुक्त।
थीम: अकेला दीप का महत्व; पंक्ति में शामिल।
अज्ञेय कहते हैं कि दीप अकेला है लेकिन स्नेह, गर्व और मादकता से भरा है। उसे पंक्ति में शामिल करने से उसकी महत्ता बढ़ जाती है। व्यक्ति भी समाज में विलय से सार्थक होता है।
मैंने देखा एक बूँद - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
मैंने देखा,
एक बूँद सहसा उछली समुद्र से;
झलकी सूर्य किरण, रंग बदल गया,
सूर्य विदा हो गया, हर आलोक-छुआ अपना
है उन्मोचन नश्वरता के दंश से!
समग्र विश्लेषण
भाव: क्षणभंगुरता, अलगाव।
शिल्प: छंद, उपमा (बूँद-समुद्र)।
थीम: बूँद का समुद्र से अलग होना; नश्वरता।
बूँद समुद्र से अलग होकर सूर्य की किरण में रंग बदलती है। यह क्षणभंगुर है। कवि क्षण की महत्ता और नश्वरता का बोध कराते हैं।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
यह दीप अकेला
1. 'दीप अकेला' के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए, यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा तथा मादकता क्यों कहा है?
उत्तर:
दीप अकेला लेकिन गुणपूर्ण।
स्नेह, गर्व, मादकता से भरा।
मैंने देखा एक बूँद
1. 'समुद्र' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
समुद्र = विराट, अनंत
बूँद = क्षण, नश्वरता
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1. अज्ञेय की कविताएँ
अज्ञेय की कविताएँ 'नदी के द्वीप' व 'हरी घास पर क्षण भर' पढ़िए।