अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’: (क) गीत गाने दो मुझे, (ख) सरोज-स्मृति
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविताओं गीत गाने दो मुझे और सरोज-स्मृति का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
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पाठ-8 – सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला': सरोज स्मृति - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ-8 – सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला': सरोज स्मृति
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता 'सरोज स्मृति' पर आधारित है। इस कविता में निराला ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज की स्मृति में दुख, संघर्ष और जीवन के यथार्थ का चित्रण किया है। अध्याय में कवि की जीवनी, कविता का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
निराला की जीवनी समझना।
कविता का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
पारिवारिक दुख और जीवन संघर्ष का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
निराला छायावाद के प्रमुख कवि हैं।
कविता उनकी दिवंगत पुत्री पर समर्पित है।
भाव: दुख, स्मृति, भाग्यहीनता।
शैली: मुक्त छंद, भावपूर्ण भाषा।
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जीवनी - पूर्ण विवरण
जन्म: 1898, मेदिनीपुर (बंगाल) में।
मृत्यु: 1961।
शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा गाँव में, संस्कृत, बंगला, हिंदी और अंग्रेजी का स्वाध्याय।
व्यक्तित्व: स्वतंत्रचित्त, विद्रोही स्वभाव। आर्थिक कष्टों से जूझते रहे।
साहित्यिक योगदान: छायावाद के प्रमुख स्तंभ। मुक्त छंद के प्रवर्तक। कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि विधाओं में रचनाएँ। सामाजिक अन्याय, गरीबी और जीवन दर्शन पर फोकस।
विशेष: सरोज स्मृति उनकी पुत्री सरोज की मृत्यु पर लिखी गई। यह दुख और स्मृति की भावपूर्ण अभिव्यक्ति है। निराला ने जीवन में कई पारिवारिक हानियाँ झेलीं।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ और थीम्स को समझें।
सरोज स्मृति - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
देखा विवाह आमुल नवल,
तुझ पर समर्पित कनक कला का जाल।
देखती सुरीली हँसी मधुर,
हाथ में खिलौने कभी मुरद,
रम रही धारणी छवि सुंदर
फिर कभी अकांक्षा मधुर-मधुर।
तुच्छ एक फूल-भर-संग,
विहंसता-लज्जा रंग-अंग।
नत नवनी से आलोक उदय
कभी अपर्णा पर-ज्योति-भरा।
तब तेरा भर मुनि-शीत
मेरे मन की प्राण गति।
श्रृंगार, रम चे निरंतर,
कनक कला में उद्वेग-भर
गहरा स्वरित, प्रिया-स्वर,
भरता प्राण भर रस-रस,
रंग-रूप कर कर साह,
अकांक्षा चलकर वह कहाँ!
हो गया वहाँ, अथवा स्वजन,
कहाँ वे नहाँ, न अनुप्रिया स्वजन,
था मेरे, विदेश रस,
पर रहा न पर-निरस; आएगा,
फिर एक उमंग रस,
नव जीवन के पास आ रहा।
मैं की कुल सृष्टि देती,
तुम, तेरा स्वरूप रस,
समझा में, "यह शोकता।"
पर अंत राम, आन करम,
युद्ध रित गूँज, फिर समो,
मामा-माँ क्या याद यथा,
पर खला धर को, अव आ,
यो हे स्वभाव, मेरे यथा;
तेर मिला स्वरूप मधुर,
रह विदेश की, चढ़ी पली,
अनित की देश गोर रमण,
है। मुद्रा वो का मधुरमण।
मुग्ध भावनीय की यो, तू संकल्प
तुंग यह धर यह धर विदार,
द्वारा हित, की काह दी रति
माया खोई, यो ने काह!
हो रही नाम पर वाला
यदि रम, यो के साहकल
हो प्रस राम के-से-कलसा!
कनरी, कल भई के साह
कर, कल में तेरा गमण।
("सरोज स्मृति" कविता का अंश)
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग:
देखा विवाह आमुल नवल... मेरे मन की प्राण गति।
व्याख्या: निराला अपनी पुत्री के विवाह और जीवन की स्मृति करते हैं। दुख और स्नेह की अभिव्यक्ति।
द्वितीय भाग:
श्रृंगार, रम चे निरंतर... हो गया वहाँ, अथवा स्वजन।
व्याख्या: पुत्री की सज्जा और जीवन की क्षणभंगुरता। भाग्यहीनता का भाव।
तृतीय भाग:
कहाँ वे नहाँ... नव जीवन के पास आ रहा।
व्याख्या: परिवार की हानि और नई आशा।
चतुर्थ भाग:
मैं की कुल सृष्टि देती... है। मुद्रा वो का मधुरमण।
व्याख्या: जीवन का यथार्थ और स्मृति।
पंचम भाग:
मुग्ध भावनीय की यो... कर, कल में तेरा गमण।
व्याख्या: अंतिम स्मृति और करुणा।
समग्र विश्लेषण
भाव: पितृ दुख, स्मृति, जीवन संघर्ष।
शिल्प: मुक्त छंद, अनुप्रास; भावपूर्ण भाषा।
थीम: मृत्यु, भाग्य, पारिवारिक बंधन।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
सरोज का विवाह नवल रूप में वर्णित।
सुंदर, हँसी से भरी।
2- कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?
उत्तर:
पुत्री में पत्नी का रूप देखा।
3- 'आकाश बदल कर बना मही' में 'आकाश' और 'मही' शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?
उत्तर:
आकाश: स्वर्गीय पत्नी।
मही: पृथ्वी/पुत्री।
4- सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर:
भाग्यहीन, दुखपूर्ण।
5- 'वह लता वहाँ की, जहाँ कली तू खिली' पंक्ति द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?
उत्तर:
पुत्री की उत्पत्ति और विकास।
6- 'मुझ भाग्यहीन की तू संबल' निराला की यह पंक्ति क्या 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे कार्यक्रम की माँग करती है?
उत्तर:
हाँ, बेटी को संबल मानकर।
7- निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए– (क) नत नयनों से आलोक उदय (ख) शृंगार रहा जो निराकार (ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला (घ) यदि धर्म, रहे नत लंब माथ
उत्तर:
(क) नम आँखों से प्रकाश उदय।
(ख) शृंगार निराकार रहा।
(ग) अन्य पाठ, अन्य कला।
(घ) धर्म नत माथ रहे।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- निराला के जीवन से संबंधित जानकारी
रामविलास शर्मा की पुस्तक 'महाकवि निराला' पढ़िए।
2- अपनी स्मृति पर कविता
अपने बचपन की स्मृतियों को आधार बनाकर एक छोटी-सी कविता लिखने का प्रयास कीजिए।
3- सरोज स्मृति पढ़कर चर्चा
'सरोज स्मृति' पूरी पढ़कर आम आदमी के जीवन-संघर्षों पर चर्चा कीजिए।
समग्र टिप: पूर्ण स्कैन के लिए 98-61-DSB उपयोग (5 मिनट)। फ्लैशकार्ड: सामने (शब्द), पीछे (बिंदु + मेमोनिक)। दीवार रिवीजन के लिए तालिका प्रिंट। 100% अध्याय कवर – परीक्षाओं के लिए आसान!