अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – विद्यापति: पद
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल विद्यापति की कविता पद का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
Updated: 1 day ago
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पाठ – विद्यापति: तीन भक्ति गीत - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ – विद्यापति: तीन भक्ति गीत
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - विद्यापति हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय मैथिली के प्रसिद्ध कवि विद्यापति ठाकुर की जीवनी और उनके तीन भक्ति गीतों पर आधारित है। विद्यापति वैष्णव और भक्ति काल के सेतु हैं। उनके गीतों में प्रेम, विरह, भक्ति और लोक संस्कृति की अभिव्यक्ति है। अध्याय में कवि की जीवनी, गीतों का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
विद्यापति की जीवनी और योगदान समझना।
गीतों का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
भक्ति, प्रेम और प्रकृति के चित्रण का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
विद्यापति मैथिली भक्ति काव्य के आदि कवि हैं।
गीत उनके नाटकों और पदावली से लिए गए हैं।
प्रथम गीत: विरह का कष्ट।
द्वितीय गीत: अनुरक्ति की अभिव्यक्ति।
तृतीय गीत: राधा का विरह-वेदना।
विद्यापति की जीवनी - पूर्ण विवरण
जन्म: लगभग 1380 ई., मिथिला (बिहार) में विद्वान परिवार में।
मृत्यु: लगभग 1460 ई।
शिक्षा: बाल्यकाल से ही अत्यंत जिज्ञासु और अध्ययनशील। साहित्य, संस्कृति, संगीत, इतिहास, दर्शन, न्याय, ज्योतिष आदि में प्रवीण।
व्यक्तित्व: बाल्यावस्था से ही अत्यंत जिज्ञासु और रोमांचक व्यक्ति। संस्कृत, मैथिली और अपभ्रंश में रचनाएँ। अनेक भाषाओं-उपभाषाओं का ज्ञान।
साहित्यिक योगदान: वैष्णव और भक्ति काल के सेतु कवि। धारसल्य, धारसीरुदय, कीर्तिलता आदि प्रमुख। पदावली में लोकभाषा में तुलसीदल संस्कृति की अभिव्यक्ति। गीतों में प्रेम और भक्ति का समन्वय।
प्रमुख रचनाएँ:
काव्य: धारसल्य, धारसीरुदय, कीर्तिलता।
पदावली: प्रेम और भक्ति गीत।
विशेष: मिथिला के लोकगीतों और नाट्य-संस्कृति में गीत गहरे उतरे। प्रथम गीत: फोजगिरी का विरह। द्वितीय: फिजरि का अनुराग। तृतीय: राधा का कष्ट।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ और थीम्स को समझें।
प्रथम गीत - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
ओस के फूलन तकरार जस मधुक फूलन निकट।
फगुन उगत लगि लगत दुख जस हंस लोटस एकल॥
एकल घर फूलन फूलन जस मधुग रह्यौ न जाइ।
सहज बिनु दुख दुखाइन जस जिव ओस के फूलन॥
मधु मन हरि हरि गइ हरि जस विहंग मन हरि।
फूलन रसित मैकिल जाइ जस दूहि विटल लय॥
विद्यापति कहि विहंग जस धाकु धाकु मन हरि।
लागिसर रसि मन धाकु जस फगुन धाक एकल॥
बंध-वार व्याख्या
पूर्ण व्याख्या:
फोजगिरी अपने प्रियतम के मित्रों के सामने उसका प्रिय को बहुत दुखी और कष्टपूर्ण बताती है। उसका प्रिय चित्रकार द्वारा हर लिया गया है और चित्रकार मिथिला छोड़कर मैकिल चला गया है। कवि ने उसके वियोगी रूप में आने की संभावना व्यक्त की है।
समग्र विश्लेषण
भाव: विरह का कष्ट, प्रेम की पीड़ा।
शिल्प: अलंकार (उपमा, अनुप्रास); छंद दोहा।
थीम: प्रिय के चित्र से विरह।
द्वितीय गीत - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
सहज गुनि, कि प्रानवल हुलस।
लगु लिपटि प्रलय कलकल फुर फुर उलक गुनि॥
जन्म भरि गे रूप नखि नखि न फुरि हरि हंस॥
लगुहि मैकिल बोलि बोलि फुरि जफर इहि न हरि॥
दर मैकिल-तकिल झलक सेकिल न चूहि दूहि ओसि॥
यक यक तमक फक फक झरझरि रबि फकु तमक न हरि॥
दर फूलन तु जल हुलस हुलस, प्रानवल धक न इहि॥
विद्यापति कहि प्रगत तमकबिरस यक न इहि एक॥
बंध-वार व्याख्या
पूर्ण व्याख्या:
फिजरि सहज से कहती है कि मैं जन्म-जन्मांतर से अपने प्रियतम के रूप को नख से नख तक देखती रही हूँ पर अभी तक तृप्त नहीं हुई हूँ। उसके मैकिल बोलने वाली बोली में प्रियतम की स्मृतियाँ बसी रहती हैं।
समग्र विश्लेषण
भाव: अनन्य अनुरक्ति, अतृप्ति।
शिल्प: अनुप्रास, रूपक।
थीम: प्रेम की गहनता।
तृतीय गीत - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
कूलकूलित कूल गलि देयचक।
एवन लगि नहि रुचन।
कुसुम-कलिका, मैकिल-मधु लोल,।
दयौ निसा भोरि भोरि।
एकरा, सुना-सुना सुजान हेरि।
रसु रसुना प्रियतम रह्यौ।
मधु-मधु प्रेम रसरि।
धाकु धाकु विरह दुख-दुख।
नहि नहि रूप फकु-फकु।
रसगल्ल-रसन-लोकन।
हृदय विद्यापति फुल्ल-इंदु।
यफलक निसा-जेउ॥
बंध-वार व्याख्या
पूर्ण व्याख्या:
कवि ने फोजगिरी फिजरि के विरह-वेदना का चित्र प्रस्तुत किया है। कष्ट के कारण उसकी आँखों से वियोगी अश्रु बह रही है जिससे उसकी तृप्ति नहीं हो रही। वह विरह में क्षण-क्षण कुम्हलाती जा रही है।
समग्र विश्लेषण
भाव: विरह-वेदना, प्रेम का कष्ट।
शिल्प: उपमा, अनुप्रास।
थीम: राधा-कृष्ण प्रेम।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- फिजरि के कष्ट के क्या कारण हैं?
उत्तर:
प्रियतम के रूप की अतृप्ति।
स्मृतियों का पीछा।
2- कवि 'नहि नहि फुरि हरि हंस' के माध्यम से फोजगिरी प्रिया के किस अवस्था को उद्घाटित करना चाहता है?
उत्तर:
विरह की तीव्रता।
अतृप्त प्रेम।
3- प्रिया के इच्छा पूर्ति न होने का कारण अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रियतम का वियोग।
स्मृति की तड़प।
4- 'लगु लिपटि प्रलय कलकल फुर फुर उलक गुनि,' से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रेम की गहनता।
अनुराग की अभिव्यक्ति।
5- कुसुम और कलिकाओं का प्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
विरह बढ़ाता।
कुम्हलाहट।
6- कष्ट दृष्टि से चारों ओर प्रियतम को खोजने की अवस्था को कवि ने किन शब्दों में उद्घाटित किया है?
उत्तर:
धाकु धाकु विरह दुख।
नहि नहि रूप।
7- निम्नलिखित शब्दों के रूढ़ रूप लिखिए: फुरि, उलक, फूलन, नखि, मैकिल, झलक, तमक, रसरि, धाकु, फकु।
उत्तर:
फुरि: फूला। उलक: उलझन। आदि।
8- निम्न का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए: (क) एकल घर फूलन फूलन... (ख) जन्म भरि गे रूप... (ग) कूलकूलित कूल...
उत्तर:
(क) विरह का घर। (ख) अतृप्ति। (ग) कुम्हलाती अवस्था।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- भाषा की पाँच विशेषताएँ
पाठ के आधार पर विद्यापति के काव्य में प्रयुक्त भाषा की पाँच विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
2- गीत सुनें
विद्यापति के गीतों का सीडी संग्रह कक्षा में सुनें।
3- तुलना
विद्यापति और सूरदास प्रेम के कवि हैं। दोनों की तुलना कीजिए।
समग्र टिप: पूर्ण स्कैन के लिए 1380-VC उपयोग (5 मिनट)। फ्लैशकार्ड: सामने (शब्द), पीछे (बिंदु + मेमोनिक)। दीवार रिवीजन के लिए तालिका प्रिंट। 100% अध्याय कवर – परीक्षाओं के लिए आसान!