अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – विष्णु खरे: (क) सत्य, (ख) एक कम
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल विष्णु खरे की कविताओं सत्य और एक कम का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
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पाठ-1 – जयकौशल्य: (क) ओलर आया, (ख) तोड़
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - जयकौशल्य हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय जयकौशल्य की दो प्रसिद्ध कविताओं 'ओलर आया' और 'तोड़' पर आधारित है। इन कविताओं के माध्यम से कवि ने आधुनिक मानव की प्रकृति से दूरी और सामाजिक जागरण का चित्रण किया है। अध्याय में कवि की जीवनी, कविताओं का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
- जयकौशल्य की जीवनी समझना।
- कविताओं का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
- प्रकृति और सामाजिकता के चित्रण का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
- जयकौशल्य नई कविता के प्रमुख कवि हैं।
- कविताएँ उनके संग्रहों से ली गई हैं।
- ओलर आया: आधुनिक मानव की प्रकृति से दूरी।
- तोड़: सामाजिक जागरण और मानसिक बंधनों का तोड़।
जयकौशल्य की जीवनी - पूर्ण विवरण
- जन्म: 1929, मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश) में।
- मृत्यु: 1990।
- शिक्षा: सम्पूर्ण शिक्षा मिर्ज़ापुर में ही प्राप्त की। 1951 में हिंदी में एम.ए. किया।
- व्यक्तित्व: पत्रकारिता से जुड़े। प्रारंभ में सहायक सम्पादक के रूप में कार्य किया। फिर विनोबा भावे के पत्राचार विभाग में रहे। कुछ समय तक कानपुर से प्रकाशित पत्रिका 'दृष्टि' के सम्पादन से जुड़े और कई वर्षों तक 'सूरज' का सम्पादन किया।
- साहित्यिक योगदान: नई कविता के कवि। उनकी कुछ कविताएँ विनय द्वारा सम्पादित दूसरे खंड में संकलित। कविता के अलावा रचनात्मक और समीक्षात्मक गद्य भी लिखा। उनके काव्य-लोक में वास्तविक अनुभवों की जगह तीव्र अनुभूतियों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक। वे व्यापक सामाजिक संदर्भों के परीक्षण, अनुभव और चेतना को कविता में ओढ़ते हैं। पत्रकारिता दृष्टि का सृजनात्मक उपयोग काव्य-रचना में किया। मानते हैं कि वृक्ष की छाल के भीतर चीख और दबी हुई ऐसी अनेक चीखें होती हैं, जिनमें मानवीय पीड़ा दबी रह जाती है। उस दबी हुई मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना कविता का कर्तव्य। इस काव्य-दृष्टि के अनुरूप उन्होंने अपनी नई काव्य-भाषा का विकास किया। अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से जानबूझकर बचते हैं। तीव्र अनुभूति की कोमल अभिव्यक्ति उनकी कविता की प्रमुख विशेषता। जयकौशल्य ने मुक्त छंद के साथ-साथ छंद में भी काव्य-रचना की। अनुभूतियों की अभिव्यक्ति के लिए वे कविता की संरचना में ढांचा या ढांचे का उपयोग करते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ:
- कविता-संग्रह: लहरों पर सूरज में, प्रकृति के विरोध में, चलो चलो चलो चलो, और लोग भूल गए हैं।
- विशेष: छह खंडों में जयकौशल्य रचनावली प्रकाशित। 'लोग भूल गए हैं' काव्य-संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ और थीम्स को समझें।
ओलर आया - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
जैसे बहू 'नक' कहती है
ऐसे किसी चरस के किसी ओर(वृक्ष) पर कोई फुदकती चिड़िया घुमड़ की चोंच नीचे झुकी
मुंह से झरती
बड़े-बड़े बीज, पंख
कोई सात बजे सुबह जैसे गुनगुने पानी से नहाई गई
भिगोई गई हवा आई, फिरदौस-सी आई, चली गई।
ऐसे, हवा-हवाई पर चलते चलते चलते।
आज मैंने जाना कि ओलर आया।
और यह न्यूज़पेपर से मालूम था
पिछले साल पिछले बारिश के मौसम की कविता
नव-वर्ष में छपी थी—यह था प्रमाण
और कविताएँ पढ़ते रहने से यह पता था
कि नजदीक नगेन्ट्री कहीं चट्टान के नीचे
वह कोहरा वैसे ही घिरेगा
रंग-रूप-छटा से लहराएंगे दूर के विदेश के
वे वन-वन यह होंगे निश्चय
हिमालय, हिमसर, आदि अपना-अपना स्वरूप
प्रदर्शन करेंगे
यह नहीं जाना था कि आज के इस दिन जानेंगे
जैसे मैंने जाना, कि ओलर आया।
बंध-वार व्याख्या
प्रथम बंध:
जैसे बहू 'नक' कहती है... ऐसी किसी चरस के किसी ओर(वृक्ष) पर कोई फुदकती चिड़िया...
व्याख्या: ओलर के आने की सूचना अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति के माध्यम से। चिड़िया की चंचलता से ओलर की ताजगी व्यक्त।
द्वितीय बंध:
कोई सात बजे सुबह जैसे गुनगुने पानी से नहाई गई... चली गई।
व्याख्या: हवा की ताजगी ओलर की वर्षा से तुलना। मानव की उदासीनता।
तृतीय बंध:
और यह न्यूज़पेपर से मालूम था... यह था प्रमाण।
व्याख्या: आधुनिक मानव ओलर को समाचार से जानता, अनुभूति से नहीं।
चतुर्थ बंध:
और कविताएँ पढ़ते रहने से... प्रदर्शन करेंगे।
व्याख्या: कविताओं से प्रकृति का कल्पना-ज्ञान, वास्तविक अनुभव की कमी।
पंचम बंध:
यह नहीं जाना था... जैसे मैंने जाना, कि ओलर आया।
व्याख्या: आश्चर्य और दूरी का भाव।
समग्र विश्लेषण
- भाव: आधुनिकता में प्रकृति से विछड़ापन।
- शिल्प: प्रतीक, रूपक; मुक्त छंद।
- थीम: अनुभूति की कमी; भाषा में जीवन की मृत्यु।
तोड़ - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
तोड़ तोड़ तोड़ तोड़
ये ईंटें ये पत्थर
ये बंधे जंजीरें टूटें
तो दुखी को हम जानें
लौटें हैं खेत में बीज है जिससे उगती फसल है
अपने मन के विचारों पर जमी हुई बर्फ है
धीरे धीरे पिघले
तोड़ तोड़ तोड़ तोड़
ये झाड़ झंकार तोड़
ये खेत खलिहान तोड़
सब खेत बनाकर छोड़
खेत में बीज होगा ही जब वह बोएगा बीज को
हम इसे क्या करें ग़रीब इस अपने मन की बर्फ को
पिघलाओ पिघलाओ पिघलाओ
बंध-वार व्याख्या
प्रथम बंध:
तोड़ तोड़ तोड़ तोड़... तो दुखी को हम जानें।
व्याख्या: बंधनों को तोड़कर दुखी की पीड़ा समझना।
द्वितीय बंध:
लौटें हैं खेत में बीज है... धीरे धीरे पिघले।
व्याख्या: खेत-बीज प्रतीक उत्पादकता; मन की बर्फ उदासीनता।
तृतीय बंध:
तोड़ तोड़ तोड़ तोड़... सब खेत बनाकर छोड़।
व्याख्या: सामाजिक बंधनों का तोड़; उत्पादकता के लिए।
चतुर्थ बंध:
खेत में बीज होगा ही... पिघलाओ पिघलाओ पिघलाओ।
व्याख्या: मन की बर्फ पिघलाना आवश्यक; ग़रीबी का संदर्भ।
समग्र विश्लेषण
- भाव: सामाजिक जागरण, मानसिक मुक्ति।
- शिल्प: अनुप्रास, प्रतीक; मुक्त छंद।
- थीम: तोड़ना और पिघलाना; लौटना।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
ओलर आया
1- ओलर के आने की सूचना कवि को कैसे मिली?
- समाचार-पत्र से।
- कविताओं से अप्रत्यक्ष रूप से।
2- "कोई सात बजे सुबह--- फिरदौस-सी आई, चली गई" – पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
- हवा की क्षणिक ताजगी।
- ओलर की अनुभूति की कमी।
3- अलंकार स्पष्ट कीजिए: (क) बड़े-बड़े बीज, पंख (ख) भिगोई गई हवा आई, फिरदौस-सी आई, चली गई
- (क) रूपक।
- (ख) उपमा।
4- किन पंक्तियों से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति के सूक्ष्म संयोगों की अनुभूति से वंचित है?
- न्यूज़पेपर से मालूम।
- कविताएँ पढ़ते रहने से।
5- "प्रकृति मनुष्य की सहचरी है" इस विषय पर विचार प्रकट करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
- आधुनिकता में दूरी।
- अनुभूति की आवश्यकता।
6- 'ओलर आया' कविता में कवि की दृष्टि क्या है?
- मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति।
- प्रकृति से विछड़ापन।
तोड़
1- 'ईंट' और 'पत्थर' शब्द किसके प्रतीक हैं?
- सामाजिक बंधन।
- दमन के प्रतीक।
2- भाव-संयोग स्पष्ट कीजिए: खेत में बीज होगा ही जब वह बोएगा बीज को हम इसे क्या करें ग़रीब इस अपने मन की बर्फ को पिघलाओ पिघलाओ पिघलाओ
- उत्पादकता की आवश्यकता।
- मानसिक उदासीनता का पिघलना।
3- कविता का आरंभ 'तोड़ तोड़ तोड़ तोड़' से हुआ है और अंत 'पिघलाओ पिघलाओ पिघलाओ' से। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया?
- कार्य की प्रगति: तोड़ से पिघलाव।
- जागरण का क्रम।
4- "ये बंधे जंजीरें टूटें तो दुखी को हम जानें" यहाँ बंधे जंजीरों और दुखी को जानने से क्या अभिप्राय है?
- बंधनों का तोड़ना।
- पीड़ा की समझ।
5- 'धीरे-धीरे पिघले' के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
- मानसिक परिवर्तन धीमा।
- बर्फ (उदासीनता) का विलय।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- ओलर ऋतु पर किसी दो कवियों की कविताएँ खोजें
- और इस कविता से उनका मेल खोजें।
2- भारत में ऋतुओं का वर्णन करें
- और उनके लक्षण लिखें।
3- खेत और बीज से संबंधित अन्य कविताएँ
- जैसे सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 'बीज'। अन्य कवियों की ऐसी कविताओं का संकलन करें और कक्षा-पत्रिका में उनका उपयोग करें।
शब्दार्थ एवं टिप्पणियाँ - पूर्ण शब्दकोष
ओलर आया
- ओलर - ओलावृष्टि
- फुदकती - उछलती हुई
- चोंच - चोंच
- झरती - गिरती हुई
- बीज - बीज
- पंख - पंख
- गुनगुने - गुनगुने
- नहाई गई - नहाई गई
- भिगोई गई - भीगी हुई
- फिरदौस - स्वर्ग
- न्यूज़पेपर - समाचार-पत्र
- नव-वर्ष - नव वर्ष
- प्रमाण - प्रमाण
- नगेन्ट्री - ? (OCR: ngj-ngj ngosaQxs – शायद नगेन्ट्री)
- कोहरा - कोहरा
- हिमालय - हिमालय
- हिमसर - हिमसर
- स्वरूप - स्वरूप
- प्रदर्शन - प्रदर्शन
तोड़
- ईंटें - ईंटें
- पत्थर - पत्थर
- बंधे - बंधे
- जंजीरें - जंजीरें
- टूटें - टूटें
- दुखी - दुखी
- लौटें - लौटें
- खेत - खेत
- बीज - बीज
- फसल - फसल
- विचारों - विचारों
- जमी हुई - जमी हुई
- बर्फ - बर्फ
- धीरे धीरे - धीरे-धीरे
- पिघले - पिघले
- झाड़ - झाड़
- झंकार - झंकार
- खलिहान - खलिहान
- बोएगा - बोएगा
- ग़रीब - गरीब
- पिघलाओ - पिघलाओ
इंटरएक्टिव क्विज़ - जयकौशल्य मास्टर
10 एमसीक्यू पूर्ण वाक्यों में; 80%+ लक्ष्य। कविताएँ, जीवनी, थीम कवर।
त्वरित रिवीजन नोट्स एवं मेमोनिक्स
| उपविषय | मुख्य बिंदु | उदाहरण | मेमोनिक्स/टिप्स |
|---|---|---|---|
| जीवनी |
|
नई कविता। | 29-90 (जन्म-मृत्यु)। टिप: "पत्रकार कवि"। |
| ओलर आया |
|
फुदकती चिड़िया। | PDK (प्रकृति-दूरी-कमी)। टिप: "ओलर न्यूज़"। |
| तोड़ |
|
ईंटें पत्थर। | TBMP (तोड़-बर्फ-मन-पिघलाओ)। टिप: "तोड़ो बंधन"। |
| शब्दार्थ |
|
झरती। | OFEB (ओलर-फुदकती-ईंटें-बर्फ)। टिप: "शब्द भाव"। |
समग्र टिप: पूर्ण स्कैन के लिए 29-90-PDK उपयोग (5 मिनट)। फ्लैशकार्ड: सामने (शब्द), पीछे (बिंदु + मेमोनिक)। दीवार रिवीजन के लिए तालिका प्रिंट। 100% अध्याय कवर – परीक्षाओं के लिए आसान!
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