अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक story खंड – पाठ-10
यह खंड हिंदी साहित्य के महान आलोचक और लेखक रामचंद्र शुक्ल की जीवनी और उनके साहित्यिक कार्यों, उनके प्रारंभिक जीवन, शिक्षा तथा हिंदी साहित्य में उनके योगदान के बारे में विस्तार से वर्णन करता है। इसमें उनके बचपन की स्मृतियाँ, भारतेंदु मंडल से जुड़ी रोचक बातें और हिंदी साहित्य के प्रति उनका झुकाव शामिल हैं।
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Categories: NCERT, कक्षा 12, हिंदी, ऐच्छिक, story खंड, रामचंद्र शुक्ल, जीवनी, साहित्यिक योगदान, हिंदी आलोचना
Tags: अंतरा, हिंदी ऐच्छिक, कक्षा 12, रामचंद्र शुक्ल, जीवनी, साहित्य, हिंदी साहित्य, आलोचना, NCERT
रामचंद्र शुक्ल: प्रेमचंद की सख्या-लेक़्ह - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
रामचंद्र शुक्ल: प्रेमचंद की सख्या-लेक़्ह
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, निबंध, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - रामचंद्र शुक्ल हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12
यह अध्याय आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जीवनी और उनके निबंध 'प्रेमचंद की सख्या-लेक़्ह' पर आधारित है। निबंध में शुक्ल जी अपने बाल्यकालीन अनुभवों के माध्यम से प्रेमचंद के व्यक्तित्व का जीवंत चित्रण करते हैं। अध्याय में आचार्य की जीवनी, निबंध का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
रामचंद्र शुक्ल की जीवनी समझना।
निबंध का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
आलोचना शैली और भाषा का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
शुक्ल जी हिंदी आलोचना के पितामह हैं।
निबंध: बाल्यकालीन स्मृतियाँ, प्रेमचंद का प्रभाव।
भाषा: वैचारिक, सरल, भावपूर्ण।
थीम: साहित्यिक व्यक्तित्व का चित्रण।
रामचंद्र शुक्ल की जीवनी - पूर्ण विवरण
जन्म-मृत्यु: 1884-1941, उत्तर प्रदेश के बेल्हा गाँव (अगौना तहसील) में।
शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा मिशन-हाईस्कूल और क्वींस कॉलेज, बनारस। एम.ए. तक शिक्षा। स्वाध्याय से संस्कृत, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य का गहन अध्ययन।
व्यक्तित्व: विद्वान, इतिहासकार, साहित्यकार। कविता, निबंध, आलोचना में निपुण।
साहित्यिक योगदान: हिंदी साहित्य का इतिहास स्थापित किया। आलोचना को नया रूप दिया। प्रमुख कृतियाँ: हिंदी साहित्य का इतिहास, चिंतामणि (4 खंड), वातावरण, प्रेमचंद ग्रंथावली संपादन।
विशेष: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष। हिंदी साहित्य के आधुनिक आलोचना के जनक।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर याद करें। प्रमुख कृतियों की सूची बनाएँ।
प्रेमचंद की सख्या-लेक़्ह - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
मेरे पिताजी क्वींस कॉलेज के अच्छे जानकार और पुरानी हिंदी कविता के बड़े प्रेमी थे। क्वींस कॉलेज के कवियों की पंक्तियों को हिंदी कवियों की पंक्तियों के साथ मिलाने में उन्हें बड़ा आनंद आता था। वे रात को अक्सर जयशंकर प्रसाद और जयशंकर प्रसाद, घर के सभी लोगों को एकत्र करके बड़े भावपूर्ण स्वर से पढ़ते थे। आधुनिक हिंदी-साहित्य में भारतेंदु के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे। उन्हें भी वे कभी-कभी सुनाते थे। जब उनकी बदली बेगूसराय (बिहार) के भागलपुर जिले से फतेहपुर हो गई तब मेरी उम्र आठ वर्ष की थी। उनके पहले ही से भारतेंदु के संबंध में एक विविध मधुर भावना मेरे मन में बसी रहती थी। 'सत्य हरिश्चंद्र' नाटक के नायक राजा हरिश्चंद्र और कवि हरिश्चंद्र में मेरी बाल्य-कल्पना कोई भेद न कर पाती थी। 'हरिश्चंद्र' शब्द से दोनों की एक मिश्रित भावना एक विविध माधुर्य का संचार मेरे मन में करती थी। फतेहपुर आते ही कुछ दिनों में सुनने लगा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र के एक मित्र यहाँ रहते हैं, जो हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि हैं और जिनका नाम है पंडित अजायबलाल पाठक। भारतेंदु-मंडली की किसी लघु स्मृति के प्रति मेरी कितनी उत्कंठा रही होगी, यह अनुमान करने की बात है। मैं शहर से बाहर रहता था। एक दिन बालकों की मंडली बँधी। जो पाठक जी के घर से परिचित थे, वे चले गए। घंटों का लंबा इंतजार हुआ। आखिरकार एक बड़े घर के सामने हम लोग खड़े हो गए। नीचे का आँगन खाली था। ऊपर का आँगन लंबे तख्तों के ढेर से व्याप्त था। बीच-बीच में खालीपन और खुली जगह दिखाई पड़ती थी। उसी ओर देखने के लिए, मुझे से कहा गया। कोई न दिखाई पड़ा। छत पर कई पुतके पड़े थे। कुछ देर के बाद, एक युवक ने झलक मारकर ऊपर की ओर देखा। तख्तों के बीच एक मूर्ति खड़ी दिखाई पड़ी। दोनो हाथों पर बाल लटके हुए थे। एक हाथ खालीपन पर था। देखते ही देखते यह मूर्ति नजरों से ओझल हो गई। बस, यही पहली झलक थी।
व्याख्या
निबंध में लेखक अपने बाल्यकाल के अनुभवों के माध्यम से प्रेमचंद (भारतेंदु) के व्यक्तित्व का चित्रण करते हैं। पिता की साहित्य प्रेम, पहली मुलाकात, साहित्यिक मंडली आदि घटनाएँ भावपूर्ण ढंग से वर्णित हैं। भाव: स्मृति, प्रभाव, साहित्यिक विकास।
समग्र विश्लेषण
भाव: व्यक्तिगत स्मृतियाँ, साहित्यिक प्रभाव।
शिल्प: वैचारिक गद्य, उदाहरणपूर्ण।
थीम: गुरु-शिष्य संबंध, साहित्यिक प्रेरणा।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- लेखक ने अपने पिताजी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
हिंदी कविता प्रेमी।
भारतेंदु नाटक प्रिय।
भावपूर्ण पाठन।
2- बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु के संबंध में कैसी भावना बसी रहती थी?
उत्तर:
विविध मधुर भावना।
राजा और कवि का मिश्रण।
3- लेखक ने पंडित अजायबलाल पाठक की पहली झलक कैसे देखी?
उत्तर:
तख्तों के बीच मूर्ति।
बाल लटकाए, हाथ खाली।
4- लेखक का हिंदी साहित्य के प्रति रुझान कैसे बढ़ा?
उत्तर:
पिता के प्रभाव से।
साहित्यिक मंडली।
5- 'फुल्लनसिंह' शब्द को लेकर लेखक ने किस व्यंग्य का फंदा किया है?
उत्तर:
ग्रामीण बोली का मिश्रण।
साहित्यिक चर्चा का नाम।
6- पाठ में कुछ रोचक घटनाओं का उल्लेख है। ऐसी तीन घटनाएँ चुनकर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पहली झलक।
इकबाल का परिचय।
पाठक जी की चतुराई।
7- "इस पुरातन भाव की दृष्टि में प्रेम और आदर का अनघट मिश्रण रहता था।" यह कथन किसके संदर्भ में कहा गया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठक जी के प्रति।
पुरानी स्मृति का सम्मान।
8- वर्तमान संस्मरण में लेखक ने पाठक जी के व्यक्तित्व के किन-किन गुणों को उभार किया है?
उत्तर:
चतुराई, विनोद।
भाषा प्रेम।
9- आधुनिक हिंदी प्रेमियों की मंडली में कौन-कौन से लेखक प्रमुख थे?
उत्तर:
रामविलास शर्मा, विश्वनाथ त्रिपाठी, आदि।
10- "भारतेंदु जी के घर के नीचे का यह गहन-अध्ययन बहुत गहरी स्मृति में प्रतिष्ठित हो गया।" कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रभावशाली स्मृति।
जीवनभर का प्रभाव।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- भारतेंदु मंडल
भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम और उनकी प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ। स्पष्ट कीजिए कि आधुनिक हिंदी गद्य के विकास में इन लेखकों का क्या योगदान रहा।
2- प्रभावशाली व्यक्ति
जिस व्यक्ति ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है, उसके व्यक्तित्व की विशेषताओं को लिखिए।
3- साहित्यकार से भेंट
यदि आपको किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर मिले तो आप उनसे क्या-क्या पूछना चाहेंगे और क्यों?
4- संस्मरण साहित्य
संस्मरण साहित्य क्या है? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।