अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक story खंड – पाठ-13
यह खंड भीष्म साहनी (सन् 1915-2003) की जीवनी, उनके साहित्यिक योगदान, उनके प्रमुख उपन्यासों और कहानियों पर केंद्रित है। इसमें उनका विभाजन के बाद का जीवन, पत्रकारिता, अध्यापन, अनुवाद कार्य और साहित्यिक सम्मान शामिल हैं। पाठ "गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात" उनकी आत्मकथा है, जिसमें उनके राजनीतिक और सामाजिक अनुभवों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
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पाठ-1 – भगवती चरण वर्मा: गांधी, नेहरू और यशपाल संगत - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ-1 – भगवती चरण वर्मा: गांधी, नेहरू और यशपाल संगत
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, गद्यांश, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - भगवती चरण वर्मा हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय भगवती चरण वर्मा की आत्मकथात्मक रचना 'गांधी, नेहरू और यशपाल संगत' पर आधारित है, जो स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं और लेखकों के साथ लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों का जीवंत चित्रण है। रचना में राष्ट्रीयता, मानवीय करुणा और प्रगतिशील विचारधारा का समावेश है। अध्याय में लेखक की जीवनी, गद्यांश का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, भाषा अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
भगवती चरण वर्मा की जीवनी और साहित्यिक योगदान समझना।
गद्यांश का भावार्थ, साहित्यिक महत्व और ऐतिहासिक संदर्भ।
राष्ट्रीय जागरण, करुणा और प्रगतिशीलता के चित्रण का विश्लेषण।
भाषा शैली: भोजपुरी शब्दों का प्रयोग, संवादों की जीवंतता।
मुख्य बिंदु
वर्मा जी प्रगतिशील लेखक; 'चित्रलेखा' उपन्यास के लिए प्रसिद्ध।
गद्यांश: सेवाग्राम में गांधी से भेंट, कानपुर में नेहरू के साथ, दिल्ली में यशपाल संगत।
थीम्स: राष्ट्रीय प्रेम, मानवीय संवेदना, स्वतंत्रता संग्राम के संस्मरण।
शैली: लघु वाक्य, संवाद-प्रधान, क्षेत्रीय शब्दावली।
ऐतिहासिक संदर्भ
1938 का कांग्रेस अधिवेशन, सेवाग्राम आश्रम, नेहरू का कानपुर दौरा, 1947 के बाद यशपाल से भेंट। स्वतंत्रता आंदोलन की झलक।
साहित्यिक महत्व
आत्मकथात्मक शैली से व्यक्तिगत अनुभवों का सामाजिक चित्रण। प्रगतिशील लेखन की मिसाल।
संदेश
राष्ट्रीयता और करुणा से प्रेरणा; गांधी-नेहरू जैसे नेताओं का मानवीय पक्ष।
उदाहरण: परीक्षा टिप
प्रश्नों में 'व्यक्तिगत अनुभव' पर फोकस करें। 5 अंकों के प्रश्न में 3 घटनाओं का वर्णन + थीम जोड़ें।
भगवती चरण वर्मा की जीवनी - पूर्ण विवरण
जन्म: 1915, मिर्ज़ापुर (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) में।
मृत्यु: 2003।
शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा घर पर। प्रयाग में संस्कृत और हिंदी का अध्ययन। इलाहाबाद के यूंग क्रिश्चियन कॉलेज से हिंदी साहित्य में एम.ए. फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच.डी. प्राप्त की।
व्यक्तित्व: प्रगतिशील विचारधारा के लेखक; पत्रकारिता, अभिनय और शिक्षण में सक्रिय। देश-विभाजन पूर्व व्यापार और अंग्रेजी शिक्षण। विभाजन के बाद पत्रकारिता (आई.पी.टी.ए.), बॉम्बे में पत्रकारिता, फिर कॉलेजों में शिक्षण। अंततः दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में साहित्य विभागाध्यक्ष। विदेशी भाषा प्रकाशन विभाग में गुजराती अनुवादक।
साहित्यिक योगदान: उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण। 'चित्रलेखा' उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार। 'रेल' उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी सम्मान। गुजराती भाषा अध्ययन और अनुवाद। 80 वर्ष की आयु तक नई कहानियाँ। प्रगतिशील लेखक संघ और आई.पी.टी.ए. से जुड़े। रचनाओं में भोजपुरी शब्दों का प्रयोग, पंजाबी प्रभाव, लघु वाक्य, संवादों की जीवंतता।
प्रमुख रचनाएँ:
उपन्यास: चित्रलेखा, रेल, सूरज का सातवाँ घोड़ा, बूँदें, भोला।
कहानी संग्रह: मकान नंबर 16, आपकी बारात, पत्थरों का किला।
नाटक: समरगाथा।
संस्मरण: यह संगत हमारी।
विशेष: रचनाओं में राष्ट्रीयता, मानवीय संबंध, प्रगतिशीलता प्रमुख। भाषा सरल, प्रभावशाली।
जीवनी से प्रेरणा
वर्मा जी का जीवन साहित्य, पत्रकारिता और स्वतंत्रता संग्राम का संगम है। छात्रों के लिए: प्रगतिशील लेखन से सामाजिक जागरूकता सीखें।
टिप: जीवनी को कालानुक्रमिक क्रम में पढ़ें। प्रमुख रचनाओं को थीम्स से जोड़ें।
गांधी, नेहरू और यशपाल संगत - पूर्ण गद्यांश एवं व्याख्या
यह गद्यांश लेखक के संस्मरणों का अंश है, जिसमें सेवाग्राम (गांधी), कानपुर (नेहरू) और दिल्ली (यशपाल) की घटनाओं का वर्णन है।
पूर्ण गद्यांश (संक्षिप्त उद्धरण)
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मु फनुकस ंजस ह्कबज् ... (पूर्ण पाठ पीडीएफ से) - लेखक भाई चित्रक के साथ सेवाग्राम पहुँचते हैं। गांधी की सादगी, एक बीमार बच्चे के प्रति करुणा का प्रसंग। नेहरू के कानपुर प्रवास में धार्मिक चर्चा और कहानी सुनाना। यशपाल से भेंट में स्वतंत्रता संग्राम और लेखन पर बातें।
अनुच्छेद-वार व्याख्या
प्रथम अनुच्छेद (सेवाग्राम यात्रा):
लेखक भाई चित्रक के साथ 1938 में सेवाग्राम पहुँचते हैं। गांधी की प्रातःकालीन प्रार्थना और सादगी का वर्णन।
व्याख्या: स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय जागरण। लेखक का उत्साह और गांधी का सरल स्वरूप।
द्वितीय अनुच्छेद (बीमार बच्चा प्रसंग):
एक बीमार लड़के को गांधी जी दवा दिलवाते हैं, हँसते हुए 'तू तो हल्दी है!' कहते हैं।
व्याख्या: गांधी की करुणा और मानवीयता। राष्ट्रीय नेता का साधारण पक्ष।
तृतीय अनुच्छेद (कानपुर में नेहरू):
नेहरू का स्वागत, धार्मिक चर्चा में कहानी सुनाना - एक गरीब चोर की दानशीलता।
व्याख्या: नेहरू की बौद्धिकता और धर्मनिरपेक्षता। प्रगतिशील विचार।
चतुर्थ अनुच्छेद (यशपाल संगत):
यशपाल के साथ स्वतंत्रता आंदोलन की चर्चा, भारत की समर्थन।
व्याख्या: लेखकों की एकजुटता, राष्ट्रीय प्रेम।
समग्र विश्लेषण
भाव: राष्ट्रीयता, करुणा, प्रगतिशीलता।
शिल्प: संवाद-प्रधान, लघु वाक्य, क्षेत्रीय शब्द।
थीम: नेताओं का मानवीय चेहरा; स्वतंत्रता संग्राम के संस्मरण।
उदाहरण: अलंकार/शैली
संवादों में जीवंतता: "तू तो हल्दी है!" - हास्य और करुणा का मिश्रण।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया?
उत्तर:
1938 में, भाई चित्रक के साथ कुछ दिनों के लिए।
उन्हें 'नई तालीम' पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम करने के लिए।
2- लेखक का गांधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव कैसा था?
उत्तर:
उत्साहपूर्ण; गांधी की सादगी और परिचितता का आभास।
मिर्ज़ापुर यात्रा की स्मृति साझा की।
3- लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का वर्णन किया है?