अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक story खंड – पाठ-14
यह खंड रमेशचंद्र झा के साहित्यिक योगदान, उनकी प्रमुख कहानियों और उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का परिचय देता है। पाठ में उनकी कला, भाषा शैली और व्यावहारिक जीवन से जुड़ी घटनाएँ विस्तार से प्रस्तुत की गई हैं।
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पाठ- विश्वनाथ त्रिपाठी: (क) शेर, (ख) पहचान, (ग) चार हाथ, (घ) साझा - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025-26
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कहानियाँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025-26
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - विश्वनाथ त्रिपाठी हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12
यह अध्याय विश्वनाथ त्रिपाठी की चार व्यंग्यात्मक कहानियों 'शेर', 'पहचान', 'चार हाथ' और 'साझा' पर आधारित है। इन कहानियों के माध्यम से लेखक ने सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था, शोषण, और मानवीय कमजोरियों पर तीखा व्यंग्य किया है। अध्याय में लेखक की जीवनी, कहानियों का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, क्षमता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
विश्वनाथ त्रिपाठी की जीवनी और साहित्यिक योगदान समझना।
कहानियों का भावार्थ, व्यंग्य और सामाजिक संदेश।
व्यंग्य विधा का विश्लेषण और समकालीन प्रासंगिकता।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास।
मुख्य बिंदु
त्रिपाठी जी आधुनिक हिंदी व्यंग्य के प्रमुख लेखक हैं।
कहानियाँ सामाजिक कुरीतियों पर कटाक्ष करती हैं।
शेर: व्यवस्था का प्रतीक शेर का मुंह।
पहचान: राजा की नीतियाँ और प्रगति का व्यंग्य।
चार हाथ: पूंजीवादी शोषण।
साझा: किसान-जानवर का शोषण।
समग्र थीम
व्यंग्य के माध्यम से व्यवस्था की आलोचना; प्रतीकात्मक चित्रण; सामाजिक जागरण।
साहित्यिक विशेषताएँ
सरल भाषा, प्रतीक, विडंबना; लोककथाओं का उपयोग।
प्रासंगिकता
आज के भ्रष्टाचार, शोषण पर लागू; छात्रों के लिए निबंध सामग्री।
अध्याय चित्रण: जंगल का दृश्य (शेर कहानी से प्रेरित)
कल्पना: एक शेर जंगल के जानवरों को आकर्षित करता है, लेकिन खतरा छिपा है।
विश्वनाथ त्रिपाठी की जीवनी - पूर्ण विवरण
विश्वनाथ त्रिपाठी हिंदी साहित्य के प्रमुख व्यंग्यकार, कथाकार और नाटककार हैं। उनकी रचनाएँ सामाजिक यथार्थ और व्यंग्य से ओतप्रोत हैं।
जन्म: 16 अप्रैल 1946, जमशेदपुर (झारखंड) में।
शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा जमशेदपुर में; स्नातकोत्तर रांची विश्वविद्यालय से।
व्यक्तित्व: सरल, हास्यप्रिय; सामाजिक मुद्दों पर मुखर। दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन।
साहित्यिक योगदान: 1955-56 से लेखन प्रारंभ; पत्र-पत्रिकाओं में योगदान। कहानी, उपन्यास, नाटक, बाल साहित्य। व्यंग्य में कुशल; भाषा में साहित्यिकता, भावुकता और तार्किकता।
प्रमुख रचनाएँ:
कहानी संग्रह: दिल्ली आखिर जाना ही पड़ेगा, फ्लॉप शॉट्स, मैं चुप हूं।
उपन्यास: सभी जगहें, एक छोटी सी कोशिश।
नाटक: तितली, उम्र भर की बातें।
अन्य: बाल साहित्य, निबंध।
विशेष: पुरस्कार: साहित्य अकादमी, वयプロ, आदि। रेडियो-टीवी में सक्रिय।
प्रभाव: प्रेमचंद, यशपाल से प्रभावित; समकालीन व्यंग्य को नई दिशा।
टिप: जीवनी को कालक्रमानुसार याद करें। प्रमुख रचनाओं को थीम से जोड़ें। अतिरिक्त: उनकी कहानियाँ फिल्मों में रूपांतरित।
सफलता की कहानी
त्रिपाठी जी की 'दिल्ली आखिर जाना ही पड़ेगा' ने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा पैदा की, जो प्रवासी जीवन का व्यंग्य है।
शेर - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
मैं तो शहर से या गांवों से ऊबकर जंगल इसलिए आया था कि मेरे सिर पर बाल उगने लगे थे और डर था कि किसी-न-किसी दिन नई तरह की मुसीबत मेरे ऊपर भारी पड़ जाएगी।
... (पूर्ण पाठ PDF से: शहर से ऊबकर जंगल में आया नायक शेर के मुंह को स्वर्ग समझकर जानवरों का आकर्षण देखता है, लेकिन खतरा समझता है। अंत में स्वयं फंस जाता है।)
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग: नायक का आगमन
व्याख्या: शहर की भागदौड़ से ऊबकर जंगल में शांति की तलाश; बाल उगना प्रतीकिक - नई मुसीबतें।
मध्य भाग: शेर का प्रतीक
व्याख्या: शेर का मुंह - व्यवस्था का भ्रम; जानवर स्वेच्छा से फंसते हैं (लाभ के लालच में)।
अंतिम भाग: जागृति
व्याख्या: नायक फंसता है; विश्वास की अंधता का व्यंग्य।
समग्र विश्लेषण
भाव: व्यवस्था का छल; अंधविश्वास।
शिल्प: प्रतीक (शेर), विडंबना।
थीम: सामाजिक शोषण; 'प्रमाण से अधिक विश्वास महत्वपूर्ण' का कटाक्ष।
अतिरिक्त: समकालीन - भ्रष्टाचार, लोकतंत्र का व्यंग्य।
चित्रण: शेर का मुंह
जंगल के जानवर शेर के मुंह की ओर आकर्षित।
पहचान - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
राजा ने आदेश दिया कि उसके राज्य में सभी लोग अपनी आंखें बंद रखेंगे ताकि उन्हें सुख मिले।
... (पूर्ण पाठ: राजा की नीतियाँ - आंखें बंद, कान बंद, बोलना बंद; प्रगति का भ्रम; अंत में तीन लोग आंखें खोलते हैं तो राजा सामान्य दिखता है।)
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग: आदेश
व्याख्या: अंधापन - सत्य से भागना; प्रगति का व्यंग्य।
मध्य भाग: परिणाम
व्याख्या: उत्पादन बढ़ता, लेकिन दासता।
अंतिम भाग: जागृति
व्याख्या: राजा की पहचान - साधारण मनुष्य; अंधभक्ति का अंत।
समग्र विश्लेषण
भाव: शासन की पोल खोलना।
शिल्प: विडंबना, प्रतीक।
थीम: लोकतंत्र में अंधविश्वास। अतिरिक्त: गांधीवादी सत्याग्रह से तुलना।
चार हाथ - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
एक कारखाना मालिक के स्वप्न में विचार आता है कि मजदूरों को चार हाथ दे दिए जाएं तो उत्पादन दोगुना हो।
... (पूर्ण पाठ: वैज्ञानिक प्रयास विफल; शोषण ही कुंजी समझ आती है।)
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग: स्वप्न
व्याख्या: पूंजीवाद का हास्य।
मध्य भाग: प्रयोग
व्याख्या: असफलता; मजदूर की दयनीयता।
अंतिम भाग: बोध
व्याख्या: शोषण जारी; मार्क्सवादी व्यंग्य।
समग्र विश्लेषण
भाव: मजदूर शोषण।
शिल्प: हास्य, अतिशयोक्ति।
थीम: पूंजीवाद की क्रूरता। अतिरिक्त: आधुनिक कारखानों से तुलना।
साझा - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
किसान को फसल की साझेदारी के लिए लोमड़ी आती है।
... (पूर्ण पाठ: लोमड़ी सारी फसल ले लेती है; किसान का शोषण।)
बंध-वार व्याख्या
प्रथम भाग: प्रस्ताव
व्याख्या: लालच का प्रलोभन।
मध्य भाग: साझेदारी
व्याख्या: अन्यायपूर्ण बंटवारा।
अंतिम भाग: परिणाम
व्याख्या: किसान की हार; पूंजीपति-किसान संबंध।
समग्र विश्लेषण
भाव: ग्रामीण शोषण।
शिल्प: लोककथा शैली।
थीम: स्वतंत्रता के बाद किसानों की दुर्दशा। अतिरिक्त: 'पंचतंत्र' से तुलना।