अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक story खंड – पाठ-17
यह खंड राम देव की कहानी "शब्द और संगीत" पर आधारित है। कहानी में भाषा, संगीत और साहित्य के प्रभावों का सूक्ष्म चित्रण किया गया है, साथ ही यह भी बताया गया है कि ये तत्व मानव जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। पाठ में साहित्यिक संवेदनशीलता के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर की महत्ता को भी उजागर किया गया है।
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पाठ - हजारी प्रसाद द्विवेदी: बड़ (बरगद) - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ - हजारी प्रसाद द्विवेदी: बड़ (बरगद)
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, निबंध, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'बड़' (बरगद) पर आधारित है। निबंध में लेखक बरगद के वृक्ष को जीवन, संघर्ष, सहनशीलता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक बनाकर दार्शनिक चिंतन प्रस्तुत करते हैं। अध्याय में लेखक की जीवनी, निबंध का विस्तृत विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी और साहित्यिक योगदान समझना।
निबंध का भावार्थ, भाषा-शैली और दार्शनिक महत्व का विश्लेषण।
बरगद को प्रतीक के रूप में देखना: जीवन की विनम्रता, सहनशीलता और सामाजिक मूल्य।
हिंदी गद्य की समृद्धि और सांस्कृतिक चेतना का परिचय।
मुख्य बिंदु
द्विवेदी जी हिंदी के प्रमुख निबंधकार, आलोचक और विद्वान हैं।
निबंध 'बड़' में बरगद वृक्ष के माध्यम से जीवन दर्शन: विनम्रता, सहनशीलता, नाम vs रूप का चिंतन।
थीम: जीवन की कठिनाइयों में भी जीवंत रहना, सामाजिक स्वीकृति का महत्व।
संदर्भ: हिंदी साहित्य में प्रकृति-चित्रण और मानवीय मूल्यों का समन्वय।
निबंध की संरचना
परिचय: बरगद का वर्णन।
मुख्य भाग: नाम-रूप चिंतन, जीवन दर्शन।
उपसंहार: बरगद का संदेश।
दार्शनिक संदेश
जीवन में सहनशीलता।
नाम सामाजिक, रूप व्यक्तिगत।
प्रकृति से सीख: विनम्रता से शक्ति।
साहित्यिक महत्व
हिंदी गद्य को नई ऊँचाई।
संस्कृत-हिंदी समन्वय।
राष्ट्रीय चेतना का प्रतिबिंब।
टिप: निबंध को प्रतीकात्मक रूप से पढ़ें। बरगद को मानव जीवन से जोड़कर नोट्स बनाएँ।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी - पूर्ण विवरण
हजारी प्रसाद द्विवेदी (1907-1979) हिंदी साहित्य के प्रमुख आलोचक, निबंधकार, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। वे हिंदी गद्य को संस्कृत की समृद्धि से जोड़ने वाले विद्वान थे।
जन्म: 1907, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दुबेपुर गाँव में।
मृत्यु: 1979।
शिक्षा: काशी हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. (1923), पीएच.डी. (1930)। संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और प्राकृत भाषाओं के ज्ञाता।
व्यक्तित्व: विद्वान, सौम्य, परोपकारी। हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री (1940-50)।
साहित्यिक योगदान: हिंदी गद्य को दार्शनिक गहराई दी। निबंधों में भारतीय संस्कृति, जीवन दर्शन का चित्रण। आलोचना में वैज्ञानिक दृष्टि। कबीर ग्रंथावली का संपादन।
प्रमुख रचनाएँ:
निबंध: अशोक के फूल, कुटज, बड़, विचार और विमर्श।
उपन्यास: पुरवाई, कबीर।
आलोचना: हिंदी साहित्य की भूमिका, कबीर।
इतिहास: हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास।
पुरस्कार: पद्म भूषण (1957), साहित्य अकादमी पुरस्कार।
विशेष: 'बड़' निबंध में बरगद को जीवन का प्रतीक बनाया। उनका साहित्य संस्कृत और लोक की संमिश्रण है।
जीवन की विशेष घटनाएँ
1923: संस्कृत में एम.ए.
1930: पीएच.डी. (काशी हिंदू विश्वविद्यालय)।
1940-50: हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री।
1952-53: काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष।
1955: प्रथम भाषा आयोग के सदस्य।
1960-67: पंजाब विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष।
1967: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर।
टिप: जीवनी को कालक्रमानुसार याद करें। प्रमुख रचनाओं को थीम से जोड़ें: निबंध-दार्शनिक, आलोचना-वैज्ञानिक।
बड़ (बरगद) - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
निबंध का संक्षिप्त सार: लेखक प्रयाग के फूलों की घाटी में बरगद वृक्ष का वर्णन करते हुए उसके नाम, रूप, जीवन-शक्ति और दार्शनिक महत्व पर चिंतन करते हैं। बरगद को सहनशीलता, विनम्रता का प्रतीक बनाया।
पूर्ण पाठ (संक्षिप्त उद्धरण)
दग्रस हैं, फूल 'केशर-फूल' ... यह विहग की तान उठाई। ... :i O;fDr&lR; gS] uke lekt&lR;A ... oqQVt dk ;gh mins'k gS।
खंड-वार व्याख्या
प्रथम खंड: वर्णन और नाम-चिंतन
लेखक फूलों की घाटी में बरगद को देखकर चकित होते हैं। नाम (बरगद) vs रूप (वृक्ष का आकार) पर चर्चा। संस्कृत में 'वट', लोक में 'बरगद'।
व्याख्या: नाम सामाजिक स्वीकृति का प्रतीक, रूप व्यक्तिगत सत्य। जीवन में नाम की महत्ता।
द्वितीय खंड: जीवन-शक्ति का चित्रण
बरगद की जड़ें गहरी, पत्तियाँ घनी। कठिन परिस्थितियों में भी जीवंत। कवियों (तुलसी, कबीर) के उद्धरण।
व्याख्या: जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा, सहनशीलता। बरगद = विनम्र मानव।
तृतीय खंड: दार्शनिक संदेश
बरगद का संदेश: जीवन कला है, सहनशील रहो। नाम से लौकिक, रूप से आध्यात्मिक।
व्याख्या: लोक-लोकिक द्वंद्व, भारतीय दर्शन (उपनिषद) का प्रतिबिंब।
समग्र विश्लेषण
भाव: जीवन दर्शन, प्रकृति-मानव समानता।
भाषा: सरल हिंदी + संस्कृत शब्द; वाक्य लंबे, चिंतनपूर्ण।
शैली: वर्णन + तुलना (उपमा: बरगद = मानव)।
थीम: विनम्रता से शक्ति, सामाजिक मूल्य।
अतिरिक्त: निबंध में कबीर, तुलसी के संदर्भ; हिंदी गद्य की उत्कृष्टता।
उदाहरण: प्रतीकात्मक चित्रण
"बरगद की जड़ें गहरी, पत्तियाँ घनी – जीवन की कठिनाइयों में भी फैलाव।" यह भारतीय सहनशीलता का प्रतीक।
टिप: निबंध को भागों में बाँटकर पढ़ें। प्रत्येक भाग से एक मुख्य संदेश निकालें।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- बड़ को 'स्कंद के मित्र' क्यों कहा गया है?
उत्तर:
स्कंदगुप्त नाटक में बरगद का उपयोग।
राष्ट्रीय प्रेरणा का प्रतीक।
जीवन संघर्ष में साथी।
2- 'नाम' क्यों बड़ा है? लेखक के विचार अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
नाम सामाजिक स्वीकृति।
रूप व्यक्तिगत, नाम सांस्कृतिक।
उदाहरण: बरगद का नाम संस्कृत 'वट' से।
3- 'वट', 'बरगद', 'वटुहा' शब्दों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
वट: संस्कृत मूल।
बरगद: लोकभाषा।
वटुहा: स्त्रीलिंग, घरेलू संदर्भ।
संबंध: भाषा विकास।
4- बड़ अपनी विनम्र जीवन-शक्ति कैसे प्रकट करता है?
उत्तर:
गहरी जड़ें, घनी पत्तियाँ।
कठिनाई में फैलाव।
प्रतीक: सहनशीलता।
5- 'बड़' हम सबको क्या संदेश देता है? टिप्पणी करें।
उत्तर:
सहनशील रहो।
विनम्रता से जीतो।
जीवन कला है।
6- बड़ के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
संघर्ष में धैर्य।
सामाजिक सामंजस्य।
प्रकृति से सीख।
7- लेखक ने 'बड़ केवल जी रहा है' कहकर किन मानवीय दुर्गुणों पर टिप्पणी की है?
उत्तर:
स्वार्थ, ईर्ष्या।
भय, महत्वाकांक्षा।
बरगद: निष्काम जीवन।
8- लेखक क्यों मानते हैं कि जीवन-शक्ति से भी बड़ी कोई शक्ति है? उदाहरण सहित।
उत्तर:
आत्मिक शक्ति।
उदाहरण: बरगद की विनम्रता।
दर्शन: उपनिषद।
9- 'दुख और सुख तो मन के द्वंद्व हैं' पर आधारित टिप्पणी।
उत्तर:
मन की स्थिति पर निर्भर।
बरगद: संतुलन।
दार्शनिक: योग।
10- निम्नलिखित गद्यांशों की भाषा-शैली की व्याख्या करें।
उत्तर:
(क) जड़ों का वर्णन: वर्णनात्मक।
(ख) नाम-रूप: चिंतनशील।
(ग) जीवन-रथ: प्रतीकात्मक।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- बड़ पर कविता/निबंध
स्थानीय बरगद देखकर 200 शब्दों का निबंध लिखें।
प्रतीक: जीवन संघर्ष।
2- लेखक का चयन कारण
द्विवेदी ने बड़ क्यों चुना? तुलना: अन्य वृक्ष।
संस्कृत प्रभाव।
3- विशेषताएँ वाक्य
10 वाक्य निकालें, मानवीय संदर्भ में व्याख्या।
उदाहरण: जड़ें = धैर्य।
4- 'जीवन कला है'
निबंध आधारित टिप्पणी।
आधुनिक उदाहरण: महात्मा गांधी।
5- राष्ट्रीय नाट्य संस्थान फिल्म
द्विवेदी पर बनी फिल्म देखें।
नोट्स: साहित्यिक योगदान।
टिप: प्रत्येक गतिविधि पर चर्चा करें। समूह में प्रस्तुति दें।